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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥ १२ ॥
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति ।
देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।”
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
श्री सरस्वती अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
मौसम मुंबई का मौसमजयपुर का मौसमनई दिल्ली का मौसमलखनऊ का मौसमनोएडा का मौसम
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ।।
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
Another thing that should be observed is usually that this kind of way involves really hard Sadhna and Sacrifice from an individual. Concurrently, the destructive result of your slightest mistake is the reason that Tantrik practices of achieving God are often reported to generally be prevented.